Wednesday, November 7, 2007

सरदार बल्लाव भाई पटेल :



अब मै देखता हूँ की उन्ही युक्तियों को यहाँ फिर अपनाया जा रहा है जिसके कारण देश का बिभाजन हुआ था, मुसलमानो की अलग बस्तिया बसाई जा रही हैं मुस्लिम लीग के बक्ताओं के वाणी में विष की भरपूर मात्रा है मुसलमानो को अपनी प्रविर्ती में परिवर्तन करना चाहिए मुसलमानो को अपनी मनचाही वस्तु पकिस्तान उन्हें मिल गयी है वे ही पकिस्तान के लिए उत्तरदायी हैं क्योकि मुसलमान ही देश के बिभाजन के अगुआ थे न की हिंदुस्तान के वासी, जिन लोगों को मजहब के नाम पर विशेष सुबिधा चाहिए वे पकिस्तान चले जाएँ इसलिये उसका निर्माण हुआ है, वे मुसलमान लोग पुनः फूट के बीज बोना चाहते हैं, हम नहीं चाहते की देश का फिर से बिभाजन हो.


से लिया गया :- २८/८/१९४७ को सम्बिधान सभा में दिए भाषण का सार

महर्षि अरबिंद :



हिंदु मुस्लिम एकता असंभव है क्योकि कुरान-मत हिंदु को मित्र के रूप में सहन नहीं करता, हिंदु मुस्लिम एकता का अर्थ हिन्दुओ की गुलामी नहीं होनी चाहिए इस सच्चाई की उपेक्षा करने से लाभ नहीं की किसी दिन हिन्दुओ को मुसलमानो से लारने हेतु तैयार होना होगा और होना चाहिए, हम भ्रमित न हो और समस्या के हल से पलायन न करें, हिंदु मुस्लिम समस्या का हल अंग्रेजों के जाने से पहले सोच लेना चाहिए अन्यथा गृहयुद्ध की खतरे की संभावना है


से लिया गया :- ए बी पुरानी इवनिंग टाक्स विद अरविन्दो पृष्ठ २९१.२८९.६६६

मोहन दास करमचंद गांधी :



"मेरा अपना अनुभव है की मुसलमान क्रूर और हिंदु कायर होते है" मोपला और नोवाखली के दंगो में मुसलमानो द्वारा की गयी असंख्य हिंदुओं की हत्या वाली हिंसा को देखकर अहिंसा निति से मेरा वीचार बदल रहा है,


से लिया गया :- गांधी जी की जीवनी धनंजय कीर पृष्ठ ४०२ व मुस्लिम राजनीती श्री पुरुषोत्तम योग

गुरु नानक देव जी




मुस्लमान, सैयद, शेख, मुग़ल पठान आदि सभी बहुत निर्दयी हो गए थे, जो लोग मुसलमान नहीं बनते थे उनके शरीर में कीलें ठोक कर और कुत्तों से नुच्वाकर मर दिया जाता था


से लिया गया :- नानक प्रकाश और प्रेमनाथ जोशी की पुस्तक पैन इस्लामिज्म रोलिंग बैक पृष्ठ ८०

लाला लाजपत राय :-



मुस्लिम कानून और मुस्लिम इतिहास को पढने के पश्चात् मै इस निष्कर्ष पर पंहुचा हूँ की उनका मजहब उनके अच्छे मार्ग में एक रुकावट है, मुसलमान जनतांत्रिक आधार पर हिंदुस्तान पर शासन चलाने हेतु हिन्दुओ के साथ एक नहीं हो सकते, क्या कोई मुसलमान कुरान के बिपरीत जा सकता है ? हिन्दुओ के विरुध कुरान और हदीस की निवेधज्ञा क्या हमें एक होने देगी ? हमें दर है की हिंदुस्तान के ७ करोर मुसलमान अफगानिस्तान, मध्य एशिया अरब, मेसोपोटामिया और तुर्की के हथियार बंद गिरोह मिलकर अपर्त्याशित स्थिति पैदा कर देंगे.

से लिया गया :- पत्र सी आर दास, बी एस ए बाद्मय खंड १५ पृष्ठ २७५

श्रीमती ऐनी बेसेंट



मुसलमानो के दिल में ग़ैर मुसलमानो के बिरुध नंगी और बेशर्मी की हद तक नफरत है हमने मुसलमान नेताओ को यह कहते हुये सुना है की यदी अफगान भारत पर हमला करता है तो वे मुसलमानो की रक्षा और हिन्दुओ की हत्या करेंगे, मुसलमानो की पहली वफादारी मुस्लिम देश के प्रति है हमारी मातृभूमि भारत के प्रति नहीं, हमें यह भी ज्ञात हुआ है की उनकी इच्छा अंग्रेजो के पश्चात यहाँ अल्लाह का राज्य स्थापित करना है न की सारे संसार के स्वामी प्रेमी परमात्मा का, स्वाधीन भारत के बारे में सोचते समय हमें मुस्लिम शासन के आतंक के बारे में वीचार करना होगा.


से लिया गया :- कलकत्ता सेशन १९१७ डॉ. बी एस ए सम्पूर्ण बाद्मय खंड १५, पृष्ठ २७२-२७५

राजाराम मोहन राय



मुसलमानो ने मान रखा है की कुरान की आयते अल्लाह का हुक्म है, और कुरान पर विश्वाश न करने वालो को मरना उचित है इसी कारन मुसलमानो ने हिंदु पर अत्यधिक अत्याचार किये, उनका बध किया, लुटा और उन्हें गुलाम बनाया.


लिया गया है :- बाड्मय- राजाराम मोहन राय पृष्ठ 726-727

गुरू देव रविंद्रनाथ टैगोर :



इसाई और मुस्लमान मत अन्यों को समाप्त करने हेतु कटिबद्ध है, उनका उद्देश्य केवल अपने मत पर चलना ही नहीं अपितु मानव धरम को नष्ट करना है, वे अपनी रास्त्र भक्ती ग़ैर मुस्लिम देश के प्रति नहीं रख सकते, वे संसार के किसी भी मुस्लिम और मुस्लिम देश के प्रति वफादार हो सकते हैं परंतु किसी अन्य हिंदु या हिंदु देश के प्रति नहीं.संभवतः मुस्लमान और हिंदु एक दुसरे के प्रति बनावटी मित्रता तो स्थापित कर सकते हैं परंतु स्थायी नहीं,


लिया गया है :- रविन्द्र नाथ बाद्मय २४ वां खंड पृष्ठ २७५ टाइम्स ऑफ़ इंडिया १७/०४/१९२७ कालांतर

समर्थ गुरू राम दास जी :-



छत्रपति शिवाजी महाराज के गुरू अपने "ग्रंथ-दास बोध" में लिखते हैं की मुस्लमान शासको द्वारा कुरान के अनुसार काफ़िर हिंदु नारियों से बलात्कार किये गए जिससे दुःखी होकर अनेकों ने आत्महत्या कर ली, मुस्लमान न बनने पर अनेक क़त्ल किये और अनगिनत बच्चे अपने अपने माँ बाप को देखकर चीखते रहे, मुसलमान आक्रमणकारी पशुओं के समान निर्दयी थे, उन्होने धर्म परिवर्तन न करने वालों को जिंदा ही धरती में दबा दिया या आग से जला दिया.


लिया गया है :- डॉ. एस डी कुलकर्णी कृत एनकाउंटर विद इस्लाम पृष्ठ - 267-268

महर्षि दयानंद सरस्वती :



इस मजहब में अल्लाह और रसूल के वास्ते संसार को लुटवाना और लुट के माल में खुदा को हिस्सेदार बनाना लुटेरों का काम है, जो मुस्लमान नहीं बनते उन लोगो को मरना और बदले में बहिश्त को पाना आदि पक्षपात की बाते इश्वर की नहीं हो सकती, श्रेष्ठ ग़ैर मुसलमानो से शत्रुता और दुस्त मुसलमानो से मित्रता जन्नत में अनेक लौंडे होना आदि निन्दित उपदेश कुएं में डालने योग्य हैं, अनेक स्त्रियों को रखने वाले मुहम्मद साहेब निर्दयी, राक्षस व विषयासक्त मनुष्य थे, और इसलाम से अधिक अशांति फ़ैलाने वाला दुस्त मत और दुसरा कोई नहीं, इसलाम मत की मुख्य पुस्तक कुरान पर हमारा यह लेख हठ, दुराग्रह, इर्ष्या-द्वेष, वाद विवाद और विरोध घटने के लिए लिखा गया, न की इनको बढ़ने के लिए सब सज्जनो के सामने रखने का उद्देश्य अच्छाई को ग्रहन करना और बुरे को त्यागना है.


लिया गया है :- सत्यार्थ प्रकाश १४ वां समुल्लास विक्रमी 2061